Monday, April 18, 2016

आईडिया क्राइसिस का नायाब नमूना है फिल्म फैन

शाहरुख़ खान की फिल्म फैन का पोस्टर 

यह नाइन्टीज में 93-94 का साल रहा होगा. शाहरुख़ खान से मेरा पहली बार साबका उनकी फिल्म 'बाजीगर' और 'डर' की वजह से पड़ा. हुआ यूँ की हमारे पड़ोस में एक भईया रहते थे और वे शाहरुख़ के बड़े जब्बर फैन थे. मतलब इस हद तक कि शाहरुख़ फिल्म में जिस तरह का चश्मा पहनेगा या जिस तरह के कपड़े पहनेगा...सब उन्हें चइये ही चइये होता था. इवेन यहाँ तक की शाहरुख़ जिन प्रोडक्ट्स के ऐड करता था तुरंत उसे वह घर ले आते थे. घर में कई बार इस बात पर भयानक कलह मचना स्वाभाविक सी बात थी.

घर से 15-20 किलोमीटर दूर लालगंज साईकिल से फिल्म देखने जाते थे. उसकी फिल्म रिलीज होने पर टॉकीज में फर्स्ट शो देखना उनकी आदत में शुमार था. एक बार तो मामला बड़ा गंभीर था. हुआ यूँ की एक फिल्म में शाहरुख़ ने मोपेड पर कोई गाना शूट किया और भाई फिल्म देखकर घर आये. कमरे में अंधेरा करके चद्दर तान कर लेट गए...मास्टराइन चाची (उनकी माँ) खाने के लिए पूछने आयीं...!! भाई साफ़ मुकर गए की खाना नहीं खाऊंगा...भूख नहीं है...!!

माएं वैसे भी समझदार हुआ करती हैं. वो समझ गयीं कि ये नाटक कोई ज़िद पूरा करवाने का पहला चरण है. उन्होंने अंततः पूछ ही लिया कि 'का बात हव..आखिर कुछ बतइबा...??' भाई ने मोपेड का नाम बताया और कहा कि जब तक खरीद कर घर नहीं आएगी खाना नहीं खाऊंगा. घर में अगर्द मच गया. खैर मामले का पटाक्षेप तब हुआ जब बात मास्टर साहब तक पहुंची. उन्होंने फ़रमान जारी किया कि 'इ चाहे खाना खायं चाहे न खायं...हम कुच्छ न ले आइब...ढेर दिक्कत होय त जांय कमायं...जवन मन करय तवन करयं...!!'

खैर यह किस्सा इसलिए सुनाना पड़ा कि आज कतई न जाने का मन बना चुकने के बावजूद जबरदस्ती 'फैन' देखनी पड़ी. फिल्म में कई बार सोया-जागा महज इसलिए कि कितनी जल्दी यह कहर बरपा हो जाये. जिंदगी में 'चक दे' के बाद शाहरुख़ की यह दूसरी फिल्म देखी.

एक दर्शक के लिए एक तरीके से कहा जाये तो यह टार्चर होना ही है. मैं भारतीय सिनेमा के सन्दर्भ में इस फिल्म के बारे में बस इतना कहूँगा कि 'आईडिया क्राइसिस' क्या होता है इससे बेहतरीन उदाहरण दूसरा नहीं होगा...!! इस तरह की फ़िल्में इंडस्ट्री में महज इसलिए एक्झिस्ट करती हैं क्यूंकि आपके पास आवारा पूंजी की ताकत है...!!

फिल्म समीक्षा के गिरते हुए बदहाल दौर का भी नायाब नमूना है यह फिल्म. उन "महान" पत्रकारों के क्रिटिक स्तर और सेंस पर हंसकर टाल जाने के सिवाय आपके पास कोई चारा नहीं बचता जिन्होंने इसे चार और साढ़े चार स्टार से नवाजते हुए इज्जत बख्शी है...!!

डिस्क्लेमर- किंग खान के जबरा फैन भाईयों से मुआफ़ी के साथ...जय राम जी की...!! और हाँ यहाँ स्टोरी नहीं बताऊंगा आप स्वयं जाकर झेलें.
स्टार- **

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