खबर नहीं
नींद में ढूंढता है बिस्तर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना
है मुकद्दर मेरा
मै ही कश्ती हूँ
मुझी में है समंदर मेरा.............
किसी फिल्म (शूल) का मुख्य किरदार (मनोज वाजपेयी) आपसे कहे कि फला किरदार (समर प्रताप सिंह) को निभाते समय अवसाद के कारण मुझे मनोचिकित्सक के प...
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
ReplyDeleteमैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा
एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा
मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा.........
A clear and limpid thougth process!!
ReplyDeleteबेहतरीन.....
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